भारत में रेप का offence परिवार की शर्म और हया से जुड़ा हुआ है, इसी कारण लोग अपनी बेटियों के साथ ऐसा offence होने पर केस रजिस्टर कराना उचित नहीं समझते। सिर्फ 20 फीसदी केस ही पुलिस के यहां रजिस्टर होने के लिए जाते हैं। इसके अलावा, केस रजिस्टर कराने में बहुत देरी हो जाने के कारण जो जरूरी साक्ष्य होता है वो खत्म हो जाता है। यही नहीं, ज्यादातर, पुलिस कानून के अनुसार साइंटिफिक इन्वेस्टिगेशन नहीं करती, इससे भी सजा की दर बहुत कम हो जाती है। नियम के मुताबिक पुलिस को केस दर्ज हो जाने के बाद विक्टिम का वीडियो रिकॉर्डिंग भी करना चाहिए, साक्ष्य स्थल पर साइंटिफिक तरीके से फोटोग्राफी होनी चाहिए, एक-एक चीज रिकॉर्ड होनी चाहिए कि वहां पर क्या-क्या पाया गया था।  घटनास्थल पर साक्ष्य सही तरीके से नहीं जुटाने का खामियाज़ा कोर्ट में भुगतना पड़ता है क्योंकि अगर साक्ष्य कम हुआ तो अपराधी छूट जाता है और  सजा की रेट बहुत कम हो जाती है। ऐसे में सजा की रेट सिर्फ 20 से 25% ही रह जाती है और इसलिए अपराधियों का मनोबल बहुत ज्यादा बढ़ जाता है।

साल 2018 में यह देखा गया कि हर 15 मिनट पर एक रेप हुआ है। उसके बाद लंबी-लंबी ट्रायल्स चलती हैं, appeals में बहुत समय लगता है, revision में सुप्रीम कोर्ट आते-आते 15 से 20 वर्ष खत्म हो जाते हैं। इससे अपराधी का मनोबल बहुत बढ़ जाता है, वह जानता है कि मैं अपराध कर भी लूंगा तो 15 से 20 साल लग ही जाएंगे यानी कि 15 से 20 साल उसका कुछ नहीं होने वाला है। यह उसे दूसरा और तीसरा क्राइम करने का मौका भी दे देता है। हमारे यहां active police with scientific investigation और honest advocates की कमी है। 

कोलकाता के आर. जी. अस्पताल वाले केस में क्राइम एक अस्पताल में हुआ है, वह भी सेमिनार हॉल में हुआ है। ऐसी जगह जो एक अस्पताल है, जो रात में या दिन में 24 घंटे खुला रहता है, हर जगह से खुला रहता है, कोई भी कभी भी आ-जा सकता है, इसलिए नर्स,डॉक्टर या मरीज सब 24 घंटे सेफ नहीं है और उनकी सेफ्टी का मुद्दा हमेशा बना हुआ है। इसीलिए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वहां पुलिस हमेशा मौजूद रहे और सुरक्षा करे। इस केस में आरोप है कि बहुत लोगों के साथ मिलकर यह अपराध हुआ, बहुत brutally हुआ, फिर भी इसकी सूचना किसी को नहीं मिली। घर वालों को देर से सूचना मिली भी तो इस बात की कि वह बीमार है और बाद में यह खबर दी गई कि उसने सुसाइड कर लिया है।

Doctor fraternity भी जो किसी भी लाश को देखकर एक सेकेंड में कह सकती हैकि यह brutal rape और murder का केस है फिर भी कहती है इसने सुसाइड किया है। कितना घोर अपराध है एक स्त्री के प्रति, समाज के प्रति देश के प्रति। इस पूरे केस का विवरण देखने के बाद क्रिमिनल लॉ में जिन-जिन चीजों को मना किया गया है जैसे घटनास्थल को ज्यों का त्यों रहने देना, इसकी फोटोग्राफी करना, इसकी एक-एक चीज को यथावत रहने देना.. इन सब का violation हुआ है। पूरे क्रिमिनल लॉ जस्टिस सिस्टम की धज्जियां उड़ा दी गई है। राज्य सरकार के द्वारा भी बहुत ही निर्दयतापूर्वक इस केस को डील किया गया है। इस केस के प्रदर्शनकारी जो कि मूलत: डॉक्टर थे, उन पर भी लाठियां बरसाई गई। कह सकते हैं कि इस केस में स्वास्थ्य सेवाओं उसमें काम करने वाली लड़कियों और समाज को पूरी तरह से प्रताड़ित किया गया, कानून की धज्जियां उड़ाई गई।

जब इतने सम्मानित और आवश्यक पेशे की लड़कियों का यह हाल है तो लड़कियां कहीं भी सेफ नहीं है। ये शर्मनाक स्थिति है हमारे लिए। 

(लेखिका सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ वकील हैं और ये उनके निजी विचार हैं)

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Kamlesh Jain

कमलेश जैन सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ वकील हैं और देश में कई बड़े केस लड़ चुकी हैं। चार दशकों से भी ज्यादा समय से कमलेश जैन देश के तकरीबन सभी हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में मुकदमो की पैरवी कर चुकी हैं। महिलाओं के अधिकार और कैदियों को लेकर वो हमेशा मुखर रही हैं। कमलेश जैन नीतिरीति के लिए अपने विचार और अनुभव लिखती रही हैं।

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