नई दिल्ली, नवंबर 16

केंद्र सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दाखिल कर कहा है कि 2016 में हुई नोटबंदी देश में आर्थिक सुधारों में एक अहम कदम था और इससे देश को काफी फायदा हुआ है। इससे नकली मुद्रा पर रोकथाम, आतंकवादी गतिविधियों पर रोक, काला धन रोकने और चोरी जैसे मामलों को रोकने में काफी मदद मिली है। इस मामले के 6 साल बीत चुके हैं और अदालत इस मामले को अब आगे न बढ़ाए। सरकार ने 8 नवंबर 2016 को 500 रुपए और 1000 रुपए के नोट को रात 12 बजे से लीगल टेंडर खत्म कर दिया था।

Centre Affidavit in SC

सरकार के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी और अदालत इन्हीं याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को अपना जवाब देने के लिए आखिरी मौका दिया था जिसके बाद ये हलफनामा दाखिल किया गया है।

सरकार के हलफनामे में कहा गया है कि नोटबंदी का फैसला रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के परामर्श के बाद लिया गया था हालांकि फैसला लेने की प्रक्रिया को गोपनीय रखा गया था। वो सारे कदम उठाए गए थे जिससे आम लोगों को कोई परेशानी नहीं उठानी पड़े।

नोटबंदी के पीछे सरकार की मंशा थी कि देश में नकली नोटों का बिछे जाल को खत्म करना था, काले धन से आतंकवादी घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा था। नोटबंदी के बाद देश का टैक्स बेस को बढ़ाना था, बिजनेस के खर्च को कम करना था और नोटबंदी से देश को एक नई आर्थिक दिशा मिली । साल 2016-17 में देश की विकास दर 8.2 फीसदी थी और साल 2017-18 में ये 6.8 फीसदी थी। जबकि ये पहले सिर्फ 6.6 फीसदी ही रहता था। 500 और 1000 रुपए की नोटबंदी सरकार का सिर्फ एक फैसला नहीं था बल्कि कई फैसलों में एक कड़ी था।  

New Currency of Rupees 2000

आरबीआई के डाटा के मुताबिक नोटबंदी से पहले के पांच साल में ने 500 और 1000 रुपये के नोटों के सर्कुलेशन में 76.4% और 109% का उछाल दर्ज किया था। इसकी वजह से ही रिजर्व बैंक ने 1000 और 500 रुपए के नोट को समाप्त करने का फैसला लिया था और नए सीरीज के नोट को जारी करने का फैसला लिया था।

सरकार ने पुराने नोट को वापस लेकर नए नोट को जारी करने के 5 बड़े फायदे बताए हैं।

1.       नकली नोटों की संख्या में और उनके मूल्य में काफी कमी आई है चाहे वो बैंकों में गिनती के दौरान हो या सुरक्षा एजेंसियों द्वारा ज़ब्ती के दौरान

2.       .नोटबंदी के बाद डिजिटल भुगतान लेनदेन की मात्रा कई गुणा बढ़ी। साल 2016 में करीब 1.09 करोड़ ट्रांजेक्शन हुए जिसका मूल्य 6952 करोड़ रुपये था ये कई गुना बढ़कर अक्टूबर, 2022 के एक महीने में  730 करोड़ ट्रांजेक्शन हुए जिसका मूल्य 12 लाख करोड़ रुपये था ।

3.       9 नवंबर, 2016 से 30 नवंबर, 2016 के बीच बैंक खातों में जमा पैसों के बारे में जानकारी ने आईटी अधिकारियों को बेहिसाब आय की एक महत्वपूर्ण राशि का पता लगाने में सक्षम बनाया और जनता को टैक्स नियमों अनुपालन करने के लिए प्रेरित किया।

4.       पैन आवेदन, टैक्स रिटर्न और टैक्स का भुगतान करने वाले व्यक्तियों में काफी वृद्धि हुई।

5.       ईपीएफओ और ईएसआईसी के साथ नामांकन में पहले की तुलना में बड़ी बढ़ोतरी देखी गई।

केंद्र सरकार ने अदालत से इस मामले में दखल नहीं देने का आग्रह किया है। सरकार के मुताबिक किसी भी मामले में अदालतें आम तौर पर आर्थिक निर्णयों पर न्यायिक समीक्षा पर नहीं बैठती हैं। बैंक नोटों को वापस लेना एक आर्थिक नीतिगत निर्णय था जिसका प्रयोग अधिनियम के प्रावधानों के अनुरूप संसद के अधिनियम (आरबीआई अधिनियम, 1934) द्वारा दी गई शक्तियों के अनुसार किया गया था और बाद में संसद द्वारा बैंक नोट (देनदारियों की समाप्ति) अधिनियम, 2017 में सकारात्मक रूप से नोट किया गया था।

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NitiRiti Bureau

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