क्या है ये तीनों कानून
भारत में नागरिक संशोधन कानून यानी (CAA) को लेकर पिछले कुछ सालों से लगातार सवाल खड़े हो रहे हैं। इसके साथ दो और कानून हैं जिसे लेकर प्रश्न उठाये जा रहे हैं और वो दोनों कानून हैं नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (NPR) और नेशनल रजिस्टर फॉर सिटिजन (NRC)। क्या ये तीनों कानून आपस में जुड़े हुए हैं, इसे लेकर क्या आपस में विवाद है, इस कानून के लागू से क्या होगा और इससे आपकी जिंदगी में क्या होगा, ये सारी बातें आज हम आपको बताएंगे?

नागरिक संशोधन अधिनियम किसको कहते हैं और इसे लाने के पीछे सरकार की मशां क्या थी?
नागरिकता संशोधन अधिनियम भारतीय संसद से पास कानून है और इस कानून के अंतर्गत भारत की सीमाओं से लगे देश जैसे पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश से आए 6 धर्म के लोगों को भारत की नागरिकता मिल जाएगी। जिस धर्म के लोगों को नागरिकता मिलेगी वो हैं- हिंदू, सिख, ईसाई, जैन, पारसी और बुद्ध धर्म को मानने वाले लोग। शर्त ये है कि ये लोग 31 दिसंबर 2014 को भारत में आ चुके हों।

नागरिक संशोधन अधिनियम भारत की नागरिकता पाने के लिए किसे आवेदन करने की अनुमति देता है ?
भारतीय नागरिकता पाने के लिए आवेदन करने वाला कोई भी हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्म का हो सकता है और उसके पास वैध कागजात होने चाहिए। इन धर्मों के उन लोगों को भी नागरिकता मिल सकती है जिनके पास कागजात नहीं हैं और वो अवैध रुप से भारत आए हैं। लेकिन इन पड़ोसी देशों के मुसलमान भारत में इस कानून के तहत नागरिकता की मांग नहीं कर सकते हैं।

नागरिक संशोधन कानून से किसको फायदा होगा ?
नागरिक संशोधन कानून से केवल वे गैर-मुस्लिम धर्म के लोगों को फायदा होगा जिन्होंने 31 दिसंबर, 2014 को या उससे पहले भारत में प्रवेश किया हो।

नागरिक संशोधन कानून की अधिसूचना कब जारी हुई थी?
नागरिक संशोधन कानून 12 दिसंबर, 2019 को अधिसूचित किया गया था और यह 10 जनवरी, 2020 लागू हो गया है।

नागरिक संशोधन कानून के तहत नागरिकता पाने में कितना समय लगता है?
नागरिक संशोधन कानून के तहत गैर-मुस्लिम प्रवासियों को 6 साल में फास्ट-ट्रैक भारतीय नागरिकता प्रदान की जाएगी। इन कानून के अलावा कोई भी 12 साल तक भारत में रहता है तो वो नागरिकता प्राप्त करने के लिए आवेदन कर सकता है। यानी नागरिक संशोधन कानून के तहत नागरिकता 6 साल में मिल सकती है, अन्यथा 12 साल में।

नागरिक संशोधन कानून पर मुख्य आपत्तियां क्या हैं?
देश के सबसे बड़े अल्पसंख्यक समूह, मुसलमानों को लगता है कि सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 14 का पालन नहीं किया है। इनका कहना है कि सरकार अनुच्छेद-14 ऐसे किसी भी कानून का उल्लंघन है जो बराबरी के सिद्धांत के खिलाफ हो। अनुच्छेद 14 समानता का अधिकार है और भारत के संविधान में मौलिक अधिकारों में से एक है।

इसी आधार पर कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है।

मुस्लिम समुदाय ने रोहिंग्याओं मुसलमानों का तर्क दिया है कि कई पड़ोसी देशों में मुस्लिम अल्पसंख्यकों पर अत्याचार किया जाता है और उन्हें भारत जैसे महान लोकतांत्रिक देश में शरण देने से इनकार करने का कोई कारण नहीं है।

मुस्लिम समुदाय को यह भी लगता है कि इस तरह के अन्य भेदभावपूर्ण कानूनों का पालन किया जा सकता है।

कानून के समर्थन के लोग इस कानून को लेकर क्या क्य कहते हैं ?
नागरिक संशोधन कानून के समर्थन में लोगों का तर्क है कि इन देशों के मुस्लिम अल्पसंख्यक दुनिया के किसी भी मुस्लिम बहुल देश में जा सकते हैं लेकिन हिंदुओं के पास भारत के अलावा कहीं और जाने के लिए नहीं है। वे कहते हैं कि यह कानून इसलिए एक उचित है और इसका वर्गीकरण सही तर्कों पर आधारित है।

नेशनल रजिस्टर फॉर सिटिजन (NRC) क्या है ?
नेशनल रजिस्टर फॉर सिटिजन (NRC) भारतीय नागरिकों का एक आधिकारिक रिकॉर्ड है। इसमें उन सभी व्यक्तियों के बारे में जानकारी शामिल है जो नागरिकता अधिनियम, 1955 के अनुसार भारत के नागरिक होने के लिए सारे गुण मौजूद हैं। नेशनल रजिस्टर फॉर सिटिजन (NRC) पहली बार साल 1951 की जनगणना के बाद तैयार किया गया था और तब से इसे आजतक अपडेट नहीं किया गया है।

अभी तक इन आंकड़ों को केवल असम में अपडेट किया जा रहा है। सरकार की योजना अब इसे पूरे देश में लागू करने की है। नागालैंड में स्वदेशी निवासियों के रजिस्टर जैसे कई राज्यों में NRC की तरह प्रक्रियाएं शुरू हो गई हैं।

असम में नेशनल रजिस्टर फॉर सिटिजन (NRC) को क्यों अपडेट किया जा रहा है ?
सीमावर्ती राज्यों से घुसपैठ की समस्या आजादी के बाद से चली आ रही है। असम से सटे बांग्लादेश से घुसपैठ की समस्या से निपटने के लिए असम समझौते के हिस्से के रूप में एनआरसी को केवल असम में अपडेट किया गया था। स्थानीय लोगों का दावा है कि इससे इलाके की जनसंख्या का पैटर्न बदल गया है और इससे उनके सांस्कृतिक अस्तित्व को खतरा पैदा हो गया है।

एनआरसी के तहत भारत का नागरिक साबित करने के लिए किसी व्यक्ति को यह साबित करना होगा कि उसके पूर्वज 24 मार्च 1971 से पहले भारत आ गए थे या इस तारीख से पहले किसी मतदाता सूची में उनका नाम था । भारत का वैध नागरिक साबित होने के लिए एक व्यक्ति के पास रिफ्यूजी रजिस्ट्रेशन, आधार कार्ड, जन्म का सर्टिफिकेट, एलआईसी पॉलिसी, सिटिजनशिप सर्टिफिकेट, पासपोर्ट, सरकार के द्वारा जारी किया लाइसेंस या सर्टिफिकेट में से कोई एक होना चाहिए।

नेशनल रजिस्टर फॉर सिटिजन (NRC) के तहत असम राज्य में नागरिकों को अपनी वंशावली का पता उन पूर्वजों को लगाना था जिनके नाम 1951 के एनआरसी में हैं, या 24 मार्च, 1971 तक किसी भी मतदाता सूची में पाए गए थे।

2013 में, असम पब्लिक वर्क्स और असम संमिलिता महासंघ और अन्य ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक रिट याचिका दायर की, जिसमें असम में मतदाता सूचियों से अवैध रुप से भारत में रह रहे लोगों के नाम हटाने की मांग की गई।

सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने एनआरसी की इस कोशिश का समर्थन किया था। लेकिन NRC के तहत घुसपैठियों को बाहर करने की प्रक्रिया की काफी आलोचना भी हो रही है क्योंकि यह बाहरी लोगों को बाहर निकालने में अभी तक सक्षम नहीं हो पाया है। नागरिकों को राज्य भर में स्थापित एनआरसी सेवा केंद्रों को नागरिकता का प्रमाण प्रस्तुत करने के लिए कहा गया था।

19 लाख से अधिक आवेदक एनआरसी सूची में जगह बनाने में विफल रहे। दूसरी ओर, आरोप हैं कि वास्तविक नागरिकों को परेशान किया जा रहा था। गृह मंत्रालय ने संकेत दिया है कि असम में फिर से एनआरसी लागू किया जा सकता है।

नेशनल रजिस्टर फॉर सिटिजन (NRC) विधेयक संसद से कब पास हुआ था ?
नेशनल रजिस्टर फॉर सिटिजन (NRC) विधेयक 9 दिसंबर 2019 को 17 वीं लोकसभा में गृह मंत्री अमित शाह को पेश किया गया था और 10 दिसंबर, 2019 को पारित किया गया था। बिल के पक्ष में 311 और विरोध में 80 वोट पड़े। राज्यसभा में 11 दिसंबर 2019 को इस बिल के पक्ष में 125 और विरोध में 105 वोट पड़े थे।

नेशनल पीपुल्स रजिस्टर (NPR) क्या है?
राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर या नेशनल पीपुल्स रजिस्टर (NPR) देश के नागरिकों का एक रजिस्टर है और ये हर 10 साल पर होने वाली जनगणना का हिस्सा है। इसका मुख्य उदेदश्य नागरिकों की पहचान करके उसका डेटाबेस तैयार करना होता है।सरकार को इससे देश में रहने वाले हर व्यक्ति के बारे में जानकारी होगी।

देश में कोरोना के फैलने की वदह से देश में एनपीआर/एनआरसी से संबंधित सभी गतिविधियों को स्थगित कर दिया गया है।

एनआरसी को नागरिकता अधिनियम, 1955 और नागरिकता (नागरिकों का पंजीकरण और राष्ट्रीय पहचान पत्र जारी करना) नियम, 2003 के आधार पर अपडेट किया गया है।

नागरिक संशोधन कानून(CAA) नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (NPR) और नेशनल रजिस्टर फॉर सिटिजन (NRC) आपस में कैसे जुड़ा हुआ है?
देशव्यापी एनआरसी कोशिश के पीछे मंशा भारत में अवैध प्रवासियों को बाहर निकालना है। अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश से आने वाले गैर-मुस्लिम ही धार्मिक उत्पीड़न से बचने के लिए भारत भाग आएं हैं वे प्रभावित नहीं होंगे लेकिन अन्य देशों के अवैध प्रवासी प्रभावित होंगे।

कई लोगों को डर है कि भारतीय मुसलमान अगर नागरिकता का पर्याप्त सबूत प्रस्तुत नहीं कर पाएं तो उन्हें अवैध आप्रवासी माना जा सकता है। क्योंकि वे अगर वो CAA में शामिल नहीं हैं तो उनकी नागरिकता अवैध हो जाएगी हालांकि सरकार इसे सही नहीं मानती है।

मानवाधिकार कार्यकर्ता और अल्पसंख्यक आवाजें असम के अनुभव का हवाला देते हुए तर्क देती हैं कि जो लोग अपनी नागरिकता साबित नहीं कर सकते हैं, वे शरणार्थी शिविरों में भेजा जा सकता है और उन्हें उनके मूल देश भेजने की कोशिश की जाएगी।

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NitiRiti Bureau

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