हिजाब और संविधान

पिछले कुछ महीनों से आप हिजाब पर लगातार ये सुन रहे होंगे कि कुछ लड़कियों को हिजाब पहनने से स्कूल ने रोक दिया और इसकी वजह से पूरे कर्नाटक में तनाव का माहौल हो गया है। कई दिनों तक कर्नाटक हाईकोर्ट में सुनवाई चली और हाईकोर्ट ने अपना फैसला भी सुनाया लेकिन इससे याचिकाकर्ता संतुष्ट नहीं हुई और अब मामला सुप्रीम कोर्ट में है।

सबसे पहले जानिये कि हिजाब को लेकर ये विवाद क्या है ?

पिछले साल दिसंबर में कर्नाटक के एक जूनियर कॉलेज में कुछ मुस्लिम छात्राएं हिजाब पहन कर क्लास करना चाह रहीं थी जिसे कॉलेज प्रशासन ने मना कर दिया। कॉलेज का तर्क था कि हिजाब पहनकर कॉलेज आना कॉलेज के Uniform Policy के खिलाफ है। धीरे धीरे ये मामला कर्नाटक के कई स्कूलों और कॉलेजों में पहुंच गया और कर्नाटक सरकार ने आदेश जारी किया कि स्कूल कॉलेजों में यूनिफॉर्म पहनना अनिवार्य है और इससे किसी को छूट नहीं है । इसी आधार पर कई कॉलेजों ने हिजाब पहनने वाली लड़कियों को कॉलेज में प्रवेश करने से मना कर दिया। कुछ लड़कियों ने कॉलेज के खिलाफ हाईकोर्ट में केस किया और कहा कि हिजाब पहनना उनका अधिकार है और कॉलेज उन्हें रोक नहीं सकता है।

कर्नाटक हाईकोर्ट ने क्या कहा है ?

करीब महीने भर चली सुनवाई के बाद कर्नाटक हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाया। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में चार बड़ी बातें कहीं।
– पहली बात, हिजाब पहनने का अधिकार संवैधानिक नहीं है
– दूसरी बात, इस्लामिक धर्मग्रंथों में ये कहीं नहीं लिखा है कि हिजाब पहनना इस्लाम का पार्ट है लिहाज़ा संविधान की धारा 25 का उल्लंघन नहीं है।
– तीसरी बात, हर शैक्षणिक संस्थान को अपना ड्रेस कोड बनाने का अधिकार है और हर छात्र- छात्रा को इसे मानना अनिवार्य है, किसी को भी इससे छूट नहीं दी जा सकती है।
– चौथी बात, राज्य सरकार को हिजाब को लेकर अपना नियम बनाने के पूरा अधिकार था।

कर्नाटक हाईकोर्ट

याचिकाकर्ता की दलील

याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में जो दलील रखी हैं उसमें तीन बड़ी बातें हैं

छात्राओं का कहना है हिजाब पहनना उनका मौलिक अधिकार है और संविधान के अनुच्छेद 19(1)(a) के तहत उन्हें हिजाब पहनने की आजादी है। यही नहीं, कर्नाटक हाईकोर्ट का फैसला उनके जीने की आजादी औऱ अधिकार यानी संविधान के अनुच्छेद 21 में भी दखल देता है।

कर्नाटक शिक्षा कानून 1983 में ये कहीं भी नहीं लिखा है कि छात्र छात्राओं को स्कूल-कॉलेज से तय किया गया ड्रेस पहनना होगा।

क्या है संविधान के अनुच्छेद 19, 21 और 25 ?

अनुच्छेद 19 किसी भी व्यक्ति को अभिव्यक्ति की आजादी देता है और देश के नागरिक अपने विचार व्यक्त के लिए स्वतंत्र हैं लेकिन इस अधिकार का दुरूपयोग रोकने के लिए प्रतिबंध भी लगाए गये हैं.

अनुच्छेद 21 के मुताबिक कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार कोई भी व्यक्ति अपने जीवन या व्यक्तिगत स्वतंत्रता से वंचित नहीं हो सकता है।

अनुच्छेद 25 किसी भी इंसान को बिना किसी बाधा के अपने धर्म को मानने की आजादी देता है ।

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Shailesh Ranjan

Shailesh Ranjan, editor, Nitiriti, was formerly editor Input, Zee News editorial division. He was heading Newsroom operations and digital content team. He has covered the Supreme Court, Delhi High Court for well over a decade. He has also worked with Doordarshan, Aaj Tak and Sahara TV. In his 22 years of experience in TV and digital media, he has managed a team of 50 reporters and 500 freelance news reporters. You can write in to him with opinions, articles and criticism if any at editor@nitiriti.com https://www.youtube.com/channel/UCNsPoGEpKPNX3DvdGp6AGiw

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