भारत में लाउडस्पीकर को लेकर विवाद करीब करीब पूरे साल रहता है। कभी पूजा में लाउडस्पीकर की तेज आवाज को लेकर तो कभी मस्जिदों से सुबह सुबह होने वाले अजान को लेकर। आजकल इस बात को भी लेकर देश के नेता आपस में उलझते हैं कि किसकी आवाज तेज है, मंदिर के लाउडस्पीकर की, मस्जिद के लाउडस्पीकर की या किसी और धार्मिक स्थल की। हाल में महाराष्ट्र के नेता राज ठाकरे अजान के लाउडस्पीकरों की आवाज धीमी नहीं करने पर मस्जिद के सामने उससे भी तेज आवाज में हनुमान चालीसा बजाने की धमकी दी लेकिन देश में तेज आवाज को लेकर कानून क्या है, ये भी आपको जानना चाहिए।
भारत में साल 2000 में ध्वनि प्रदूषण को लेकर नियम बना था जिसे ध्वनि प्रदूषण( विनियमन और नियंत्रण) नियम, के नाम से जाना जाता है । इसको आपको हम सवाल-जवाब के माध्यम से समझाते हैं।

पहला सवाल है कि अब आप जानिये कि सार्वजनिक स्थानों लाउडस्पीकर का इस्तेमाल कैसे किया जा सकता है?

  • लाउडस्पीकर का इस्तेमाल बगैर सरकारी इजाज़त के नहीं किया जा सकता है। ये इजाज़त जिलाधिकारी, पुलिस कमिश्नर या डीएसपी रैंक के अधिकारी से लेनी होती है। लाउडस्पीकर का इस्तेमाल रात में इस्तेमाल नहीं होगा हालांकि इसमें कुछ जगहों को छूट मिलती है जैसे ऑडिटोरियम, कांफ्रेंस हॉल, कम्यूनिटी हॉल, बैंक्वेट हॉल या फिर किसी आपातकाल स्थिति में। वैसे ये कितना पालन होता है ये आप और हम सब जानते हैं।
  • वैसे नियम का पालन नहीं होने पर आप इन्हीं अधिकारियों को शिकायत दर्ज करा सकते हैं।

अब अगला सवाल है कि ध्वनि प्रदूषण की सीमा क्या होनी चाहिए?
इसका जवाब है कि जिस सार्वजनिक स्थान पर लाउडस्पीकर का इस्तेमाल हो रहा है वहां की दीवार के पास आसपास की आवाज से 10 डेसीबल ज्यादा होनी चाहिए और किसी भी सूरत में ये 75 डेसीबल से उपर नहीं होना चाहिए।

अब आप पूछेंगे कि इसमें कुछ छूट भी है तो इसका जवाब है कि राज्य सरकारें किसी विशेष आयोजन पर जैसे कि कोई धार्मिक या सांस्कृतिक कार्यक्रम के दौरान कुछ निश्चित समय के लिए रात 10 बजे से 12 बजे तक लाइडस्पीकर का इस्तेमाल करने की छूट दे सकती हैं। वैसे ये साल में सिर्फ 15 दिन के लिए हो सकता है।

राज्य सरकारें अपने राज्य में औद्योगिक, व्यावसायिक, रिहायशी और साइलेंस जोन बनाती हैं और वहां के ध्वनि लेबल को नियंत्रित रखने के लिए नियम होते हैं। अस्पताल, शैक्षणिक संस्थान और कोर्ट के 100 मीटर के दायरे को साइलेंस ज़ोन कहा जाता है।

आपका सवाल अब होगा कि अलग अलग जगहों पर ध्वनि प्रदूषण का स्तर क्या होता है?

इसका जवाब है इंडस्ट्रियल यानी औद्योगिक क्षेत्र में ये दिन के समय 75 डेसीबल हो सकता है और रात में 70 डेसीबल कॉमर्शियल यानि वाणिज्यिक क्षेत्र में दिन के समय 65 डेसीबल हो सकता है और रात में 55 डेसीबल होगा। रेसिडेंशियल यानी रिहायशी इलाके में दिन के समय में 55 डेसीबल और रात में 45 डेसीबल आवाज की सीमा होनी चाहिए। साइलेंस यानी शांत क्षेत्र में ये सीमा दिन में 50 डेसीबल और रात में 40 डेसीबल होनी चाहिए। यहां दिन का मतलब सुबह के 6 बजे से रात के 10 बजे तक और रात का मतलब रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक है।

देश में 70 मॉनिटरिंग स्टेशन हैं जो लगातार देश की ध्वनि की निगरानी कर रहे हैं और इनके डॉटा के मुताबिक पूरे देश में ध्वनि का स्तर सामान्य से ज्यादा रहता है और कई जगहों पर तो सामान्य से दोगुना रहता है।

साल 2022 में संयुक्त राष्ट्र की ध्वनि प्रदीषण पर एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया के पांच सबसे ज्यादा ध्वनि प्रदूषण वाले शहरों में उत्तर प्रदेश का मुरादाबाद शहर है जिसका डेसीबल लेवल 114 है। पहले पर बांग्लादेश का शहर ढाका औऱ तीसरे पर पाकिस्तान का इस्लामाबाद है।

अगला सवाल है कि आपका शरीर और आपका कान किस स्तर तक आवाज को सुन सकता है औऱ बर्दाश्त कर सकता है?
इसका जवाब है करीब 85 डेसीबल तक आपका कान शांतिपूर्वक सुन सकता है और आवाज इससे उपर जाने पर आपकी नींद खराब कर सकता है, आपको बेचैन कर सकता है, आपको धीरे धीरे बहरा बना सकता है और दिल की बीमारी दे सकता है।

अगला सवाल है कि ध्वनि प्रदूषण ज्यादा होने पर किसके खिलाफ क्या क्या कार्रवाई की जा सकती है?
इसका जवाब है कि आप जो अधिकारी लाउडस्पीकर के लिए इजाज़त देते हैं उनके पास आप शिकायत दर्ज करा सकते हैं और कानून के मुताबिक नियम तोड़ने पर दोषी व्यक्तियों के लाउडस्पीकर ज़ब्त होंगे और 10 हजार रुपए का जुर्माना होगा।

इसी तरह डीजल जेनरेटर के शोर पर 10 हजार से 1 लाख रुपए तक का जुर्माना है और निर्माण स्थल पर ज्यादा शोर होने पर सामान जबेत होंगे और 50 हजार रुपए का जुर्माना होगा। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा लाउडस्पीकर का इस्तेमाल किसी नागरिक के मौलिक अधिकारों में नहीं आता है ।

यानी अगली बार आपको अगर लगे कि आपके आसपास में जरुरत से ज्यादा शोर है तो आप सवाल कीजिए और इसकी शिकायत करके आप शोर की सीमा को कम कर सकते हैं।

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Shailesh Ranjan

Shailesh Ranjan, editor, Nitiriti, was formerly editor Input, Zee News editorial division. He was heading Newsroom operations and digital content team. He has covered the Supreme Court, Delhi High Court for well over a decade. He has also worked with Doordarshan, Aaj Tak and Sahara TV. In his 22 years of experience in TV and digital media, he has managed a team of 50 reporters and 500 freelance news reporters. You can write in to him with opinions, articles and criticism if any at editor@nitiriti.com https://www.youtube.com/channel/UCNsPoGEpKPNX3DvdGp6AGiw

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