नीति रीति ब्यूरो
आज से जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ सुप्रीम कोर्ट के 50वें मुख्य न्यायधीश हो गए हैं। जस्टिस चंद्रचूड़ का कार्यकाल करीब दो साल का होगा और इस दौरान 18 नए जजों की नियुक्ति की सिफारिश जस्टिस चंद्रचूड़ की कॉलेजियम करेगी। जस्टिस चंद्रचूड़ 10 नवंबर 2024 को रिटायर होंगे। चीफ जस्टिस के अधिकार और सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम के बारे में आपने काफी सुना होगा लेकिन ये क्या है और कैसे काम करती है, ये आज हम आपको बताते हैं। क्या आपको पता है कि इस बार के कॉलेजियम में 5 की जगह 6 जज होंगे ?
क्या है कॉलेजियम ?
सुप्रीम कोर्ट का कॉलेजियम पांच सबसे सीनियर जजों का समूह है जो सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्टे के जजों की नियुक्ति के लिए सरकार को सिफारिश करता है। ये एक प्रशासनिक समूह है और इसकी अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश करते हैं। इसके अलावा, मुख्य न्यायाधीश समेत तीन सबसे सीनियर जजों का समूह हाईकोर्ट के जजों के ट्रांसफर और पोस्टिंग की सिफारिश सरकार को करता है। आमतौर पर सरकार इसे मानती है लेकिन कई बार ऐसे मामले होते हैं जब सरकार इसे वापस भी कर देती है।
कॉलेजियम क्यों बना ?
सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने तीन बड़े फैसले दिये थे। पहला फैसला साल 1981 में दिया था जब सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 124 और 217 की दोबारा व्याख्या की थी। अनुच्छेद 124 के तहत सुप्रीम कोर्ट के जजों की नियुक्ति होती है जबकि 217 के तहत हाईकोर्ट के जजों की।
1981 के फैसले में सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की बेंच ने फैसला दिया कि सरकार मुख्य न्यायाधीश (CJI) की तरफ से भेजे गए फाइल को ठोस वजहों से वापस भी कर सकती है।
इसके 12 साल बाद सुप्रीम कोर्ट की 9 जजों की बेंच ने पुराने फैसले को पलट दिया और कहा कि फैसला दिया कि तीन सबसे सीनियर जजों का कॉलेजियम होगा जजों की नियुक्ति परामर्श(Consultation) से नहीं बल्कि सहमति (Concurrence) से होगी।
पांच साल बाद फिर सुप्रीम कोर्ट ने इसका फैसला दिया और इस बार कॉलेजियम के जजों की संख्या 3 से बढ़ाकर 5 कर दिया। तब से लेकर अभी तक 5 सबसे सीनियर जज कॉलेजियम का हिस्सा होते हैं और मुख्य न्यायाधीश इसका हिस्सा होते हैं।
पांच जजों के सबसे सीनियर जजों के कॉलेजियम के पीछे तर्क ये होता है कि इसमें वो जज भी होते हैं जो आगे चीफ जस्टिस बनेंगे हालांकि कभी कभी ऐसा नहीं होता है , इसे हम आगे बताएंगे।
जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ का कार्यकाल
जस्टिस चंद्रचूड़ का कार्यकाल 10 नवंबर 2024 तक होगा और इस दौरान उनके कॉलेजियम के कई जज एक एक करके रिटायर होते जाएंगे। इसमें जस्टिस हेमंत गुप्ता 16 अक्टूबर 2022 को, जस्टिस एस अब्दुल नज़ीर 4 जनवरी 2023 को रिटायर होंगे, जस्टिस दिनेश महेश्वरी 14 मई 2023 को, जस्टिस एम. आर. शाह 15 मई 2023 को, जस्टिस के. एम. जोसेफ 16 जून 2023 को, जस्टिस अजय रस्तोगी 17 जून 2023, जस्टिस संजय किशन कॉल 25 दिसंबर 2023 को रिटायर होंगे। इसके बाद सबसे सीनियर जज होंगे जस्टिस संजीव खन्ना जो 13 मई 2025 तक सुप्रीम कोर्ट में रहेंगे लिहाज़ा जस्टिस चंद्रचूड़ के बाद अगले चीफ जस्टिस वही होंगे।
कैसा होगा कॉलेजियम ?
आमतौर पर कॉलेजियम में वो जज होते हैं जो अगले चीफ जस्टिस होते हैं लेकिन जब जस्टिस चंद्रचूड़ मुख्य न्यायाधीश बनेंगे तो कोई भी सीनियर जज ऐसा नहीं होगा जो आगे चीफ जस्टिस बनेगा यानी कॉलेजियम के जज जस्टिस चंद्रचूड़ से पहले ही रिटायर होते जाएंगे। इसलिए 9 नवंबर 2022 को जब जस्टिस चंद्रचूड़ मुख्य न्यायाधीश की शपथ लेंगे, उसी दिन से ही कॉलेजियम में जस्टिस संजीव खन्ना छठे सदस्य के तौर पर रहेंगे ताकि नए जजों की नियुक्ति पर उनकी नज़र रह सके।
इसके पहले ऐसा साल 2007 में जस्टिस एस एच कपाड़िया के साथ हुआ था. जब जस्टिस के जी बालाकृष्णन चीफ जस्टिस बने थे उस वक्त भी कॉलेजियम में वो जज नहीं थे जो चीफ जस्टिस बनते इसलिए जस्टिस कपाड़िया को छठे सदस्य के तौर पर कॉलेजियम में बुलाया गया था।