नई दिल्ली, दिसंबर 8
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि आज जनता में कॉलेजियम सिस्टम पर हो रही टीका टिप्पणी को कम करे। गुरुवार को केंद्र सरकार से कहा कि वह कॉलेजियम प्रणाली की सार्वजनिक आलोचना को कम करे और जजों की नियुक्ति पर वर्तमान कानून को लागू करे। गौरतलब है कि पिछले कुछ दिनों से कॉलेजियम सिस्टम के ज़रिए जजों की नियुक्ति सरकार की तरफ से टिप्पणियां हो रही है। केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजु और उप राष्ट्रपति ने हाल ही कॉलेजियम सिस्टम पर तीखी टिप्पणियां की थी।
केंद्रीय कानून मंत्री और उपराष्ट्रपति द्वारा मौजूदा कॉलेजियम प्रणाली पर हमला करने के कुछ दिनों बाद यह घटनाक्रम सामने आया है, जिसे न्यायपालिका ने अपनी स्वतंत्रता बनाए रखने के लिए विकसित किया था।
जस्टिस संजय किशन कॉल की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने कॉलेजियम सिस्टम पर हो रही टिप्पणियों पर चिंता जताई और अटॉर्नी जनरल को कहा कि वो सरकार को सलाह दें कि इस मामले में ज्यादा टिप्पणियां न हो।
जस्टिस संजय किशन कॉल ने टिप्पणी की और कहा कि “इसके बड़े प्रभाव हो सकते हैं. लोगों का एक वर्ग तब कह सकता है कि हम कुछ कानूनों का पालन करना पसंद करेंगे जिन्हें हम पसंद करते हैं और उन कानूनों का पालन नहीं करेंगे जिन्हें हम पसंद नहीं करते हैं।“
बेंच ने कहा कि भारत के लोकतंत्र में जो संवैधानिक व्यवस्था है उसमें अदालत कानून का अंतिम मध्यस्थ है।
कोर्ट ने सरकार से ये भी कहा कि वो कानून का पालन करे और जिन जजों के नाम कॉलेजियम ने भेजे हैं उन नामों को आगे बढ़ाए। हालांकि सरकार ने बातचीत के दरवाजे खुले रखे हैं। नियम के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति के लिए सिफारिश करती है और सरकार उस नाम को हरी झंडी देती है।
जस्टिस कौल ने कहा कि आप कानून बदल सकते हैं, इस मुद्दे पर फिर से विचार कर सकते हैं। लेकिन यह फिर से न्यायिक समीक्षा के अधीन होगा।
अदालत ने अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी को गतिरोध के समाधान के लिए एक हफ्ते का वक्त दिया।
जजों की नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कई बड़े फैसले दिये हैं और इसके मुताबिक हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली कॉलेजियम करेगी। कॉलेजियम की सिफारिश सरकार को मानना पड़ता है हालांकि कई मामलों सरकार उस फाइल को अपनी आपत्ति के साथ कॉलेजियम वापस भी करती है।
कुछ साल पहले सरकार ने जजों की नियुक्ति के लिए राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग का गठन किया था लेकिन इसे सुप्रीम कोर्ट असंवैधानिक करार दिया था। बाद में सरकार ने नियुक्ति को लेकर एक नियमावली भी बनाने की कोशिश की लेकिन सुप्रीम कोर्ट इस पर राजी नहीं हुआ।
माना जा रहा है कि कॉलेजियम की सिफारिश के बाद करीब 90 जजों की फाइल सरकार के पास लंबित है ।कम से कम 10 नाम ऐसे भी हैं जिनके नाम कॉलेजियम ने दोबारा भेजा है। आमतौर पर जब दूसरी बार कॉलेजियम सिफारिश करे तो सरकार उसे मान ही लेती है लेकिन अभी भी उन नामों को हरी झंडी नहीं मिली है।